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प्रेरणादायक कहानियां

यह सोचकर वह फिर से शहर लौट आया | इसके बाद एक ही साल में दोगुनी मेहनत करके उसने एक हज़ार सोने की मोहरे जमा कर ली | इस बार वह फिर अपने गांव चल दिया; किंतु दुर्भाग्य से सूर्यास्त होने पर वह उसी बरगद के पेड़ के नीचे जा पहुंचा | यह देख जुलाहा हैरान रह गया, कि भाग्य ने उसे फिर उसी जगह पर लाकर खड़ा कर दिया | वह फिर से सो गया और इस बार भी उसकी मोहरे गायब हो गई |

दूसरी बार भी अपनी गाढ़ी कमाई को खोकर उसे बड़ी ही निराशा हुई | वह सोचने लगा कि धन के बिना तो अब जीवित रहना ही व्यर्थ है | अतः उसने अपनी पगड़ी का फंदा बनाया और उसका एक छोर पेड़ से बांधकर खुद को फांसी लगाने को तैयार हो गया |

तभी भाग्य उसके सामने प्रकट हुआ और उसे पकड़ते हुए बोला – ” अभी तुम्हारी आयु शेष है | तुम आत्महत्या करने की कोशिश मत करो | जाओ अपने घर जाओ | मैं तुम्हें एक वरदान देना चाहता हूं, बोलो तुम्हें क्या चाहिए |”

धिनु बोला – ” अगर ऐसी ही बात है | तो कृपया आप मुझे धनवान बना दीजिए |”

भाग्य बोला – ” पर तुम धन लेकर क्या करोगे | धन का भोग तो तुम्हारे भाग्य में है, ही नहीं |”

जुलाहा बोला – ” फिर भी मुझे धन चाहिए | इस संसार में कितने ही ऐसे धनी पुरुष है, जो अपनी अव्यवस्था या कंजूसी के कारण संवेदन का भोग करने में असमर्थ हैं; किंतु धनी होने के कारण समाज में उनका मान-सम्मान है |”

भाग्य उसकी बात सुनकर बोला – ” तुम फिर से शहर लौट जाओ | वहां तुम्हें एक व्यापारी के दो पुत्र मिलेंगे | उनमें से एक धन-जोडू तथा दूसरा खर्चीला है | तुम दोनों में से जैसा बनना पसंद करोगे मैं तुम्हें वैसा ही बना दूंगा |”

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